आध्यात्म

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खुली मानसिकता से समय को जीते (ओपन माइंड)

आज ओपन माइंड का आशय तमाम तरह की ऋणात्मकता और पाश्चात्य सभ्यता के साथ थिरकते हुए युवा समूहजो अपनी हर समस्या के लिए खुले पन की सीमा भूल चुके होते है ,उनका सारा ध्यान इस में लगा रहता है कि कैसे समाज उन्हें मोड़, सेक्सी चार्मिंग और , ओपन माइंड कहे |आज युवा बाजारों रेस्तरां और कॉलेजों में बाँहों में बाहें डाले निर्लज्जता की पराकाष्ठा पर स्वयं को आधुन....

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उपकार को कभी न भुलाएँ

हम जिस समाज में रहते है वहां हर तरह के लोगों हमारा सम्बन्ध स्थापित रहता है इनमे से कुछ ऐसे होते है जोसामान्य व्यवहार की तरह सबसे अच्छा व्यवहार ही करते है |कुछ ऐसे होते है जो केवल अपने मतलब स मतलबरखते है केवल आवश्यकता होने पर ही व्यवहार में सहयोगी होते है ,और कुछ ऐसे होते है जिन्हें किसीसे कोईमतलब नही रहता वे समाज परिवार और संबंधों के प्रति भी बे....

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शान्ति और संतोष केलिए शक्ति और संघर्ष जरूरी है|

हम जीवन के हर पहलू पर शान्ति और संतोष की कामना करते है मगर यह भूल जाते है कि यह सब केवल उसेनसीब है जो स्वयं अपने क्रियान्वयन से इसे पैदा करने कि क्षमता रखता है | सुरक्षा और शान्ति के लिए हमें ताकतवर और शक्ति संपन्न होना चाहिए हमारी सीमाए और राष्ट्र तब तक ही सुरक्षित है जब तक हम ताकतवर और मजबूत है| यह विचार यह बताता है ....

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सीख दें,मगर यहाँ सोच कर कि यही आपका भविष्य है

प्रत्यक्ष अनुभव का सत्य और मेरे प्रश्न  माँ, स्कूल और हमारे अपने किसी भी इंसान कि पहली पाठ शाला होती है ,जहाँ से बाल्य काल में बच्चा जीवन मूल्यों कि पहली शुरुआत करता है यहीं से उसके मन के आधार बनते और बिगड़ते है बच्चे सबसे अधिक प्रभाव उसकी माँ का पड़ता है ,और वह उसके अनुसार ही अपनी जीवन धारणाये बनाने लगता है सामान्यत: माँ अपने व्य....

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आप कौन से पुत्र ,पुत्री है ? कौन अपना है ये पता तो चले

कोई भी किसी के लिए अपना न पराया है , रिश्तों के उजाले में हर आदमी साया है सम्पूर्ण जीवन आदमी इस खोज में लगा देता है कि उसका अपना कौन है ,वह पुत्र, पुत्री ,पत्नी ,परिवार और समाजमें उलझा अनवरत यह प्रयत्न करता रहता है कि उसकी आत्मा वास्तविक अपनत्व को प्राप्त कर पाए और उनलोगो की खोज कर पाए जो उसके अपनत्व की कसौटी पर खरा उतर पाए |धर्म ग....

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संगत के परिणाम

बसि कुसंग चाहत कुशल ,रहिमन यह अफसोस मान घट्यो समुद्र को जो रावन बसा पड़ोस  बुरे आदमी की संगत का असर यह होता हैं कि व्यक्ति कितना ही बड़ा क्यों ना हो उसकी प्रतिष्ठा और सम्मान कोछति अवश्य पहुँचती हैं ,रावण के पड़ोस में रहने के कारण ही विशाल समुद्र कि मर्यादाओं को छोटे छोटे वानरों नेआधार हीन बना डाला|अर्थात बुरे व्यक्ति के प्र....

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कृतज्ञ हूँ आपका, आप पर समय है परमार्थ का

कृतज्ञ हूँ आपका अति व्यस्तता के साथ आज समय ही कहाँ है, सब पर इन विचारों के चिंतन का ,आप ऐसे ही सहयोग एवं विषयोंपर सुझाव दीजिये मेरा प्रयास है एक दिन हम अपने उद्देश्य को कामो वेश अवश्य पूरा कर लेंगे |आज हम सबबहुत व्यस्त है ,और हम पर अपनी समस्याओं ,कार्य और जल्दी जल्दी संतोष बटोरने के चक्कर में अपनी हीशान्ति खोते जा रहे है |परन्तु कुछ लोग अ....

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हीन और सर्वोत्कृष्ट ,इम्फीरियरिटी या सुपीरियरिटी

हमने हमेशा यही चाहा की हम सर्वोत्कृष्ट रहें |समाज हमारा परिवेश और हम जिस ओर अपने कर्तव्य क्षेत्र में होवहां भी हमें श्रेष्ठ समझा जाए |समाज,व्यक्ति और सम्पूर्ण क्षेत्र में हमसे अधिक गुणवान् कोई न हो|हम सौंदर्यसाधनों और समाज की सारी आपूर्तियों में बे मिसाल हों,हम सबसे अच्छे और बल शाली हों |हम जो स्वप्न खड़ेकरें उन्हें बिना परिश्रम के सहज ही प्राप्त....

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आधुनिकता या खुले पन की सीमा तय करें

आज हमारा समाज ख़ुद को आधुनिक बताने की चेष्टा में स्वयं भ्रमित है |बच्चों से वह हमेशा यह आकांक्षा करता रहा कि वे मूल्यों संस्कृति और वसीयत के कलेवर में लिपटे अपने जीवन को संयमित रूप से गुजारें और इसी बात के लिए उन्हें स्वयं को बार बार सिद्ध करना होता है जबकि हम अपनी और समाज की क्रियान्वयानता और चिंतन पर कुछ सोच ही नहीं पाते |आज नई पीढी में जो कुछ....

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गुरु जीवन की धनात्मकता है

गुरु जीवन की धनात्मकता है गुरु एक तत्त्व है जिसका उदय जीवन के साथ ही होता है |वह आदमी के मष्तिष्क में सेल्स के स्वरुप में ही जन्म लेता है क्योकि हिंदू रीति के अनुसार इंसान को बार बार जन्म लेना होता है और गुरु भी वही रीति निभाने के लिए आपके साथ ही रहता है |मष्तिष्क के दौनों भाग विभिन्न भावनाओं के प्रवर्तक माने गए है जिस भाग से आत्मा कॉनिर्....

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