शान्ति और संतोष केलिए शक्ति और संघर्ष जरूरी है|
हम जीवन के हर पहलू पर शान्ति और संतोष की कामना करते है मगर यह भूल जाते है कि यह सब केवल उसेनसीब है जो स्वयं अपने क्रियान्वयन से इसे पैदा करने कि क्षमता रखता है |
सुरक्षा और शान्ति के लिए हमें ताकतवर और शक्ति संपन्न होना चाहिए हमारी सीमाए
और राष्ट्र तब तक ही सुरक्षित है जब तक हम ताकतवर और मजबूत है|
यह विचार यह बताता है कि यदि हम जीवन में शान्ति सुख और संतोष की कामना करते है तो उसके लिए हममे नैतिक ,चारित्रिक और कर्तव्य निष्ठां का बल होना आवश्यक है | इसी प्रकार जीवन के पुनरुत्थान के लिए हमेअनेक प्रकार के गुणों की आवश्यकता होती है जिनके बिना जीवन को वह शान्ति कभी नही मिल सकती जिसेआदमी के लिए उत्तम कहा गया है |
मनुष्य जीवन में भी पशुओं के सदृश्य गुण विद्धमान होते है उसमे अपने स्वार्थों और प्राप्तियों के लिए ललक हमेशाबनी रहती है |वह हर अप्राप्त को प्राप्त करने की चेष्टा करता है जबकि जो उसके पास था उसपर वह आधिपत्यजमाये रखना चाहता है |वह समाज की हर सुंदर और बेजोड़ वस्तु का स्वामी होना चाहता है ,वह कालजयी होनाचाहता है ,वह समय,बदलाव और ज्ञान के क्षेत्र में अतुलनीय और विजयी होना चाहता है |उसकी अनंत काल सेयही आशा रही है की वह संसार में सबसे श्रेष्ठ और बेजोड़ बना रहे |वह समाज ,परिवार,और आदर्शों के उच्चतमशिखर पर ही रहना चाहता है ,उसे मालूम रहता है कि यदि वह किसी भी बिन्दु पर कमजोर हुआ तो उसका प्रतिद्वंदीसमाज या लोग उसे कुचल कर निकल जायेंगे |कहने का अभिप्रायः यह कि वह अपनी आत्मा की शान्ति औरसंतोष के लिए मजबूत और अतुलनीय बना रहता है यही उसकी शान्ति भी होती है |
मित्रों संतोष शान्ति एवं सुख तो बल संघर्ष और ताक़त के प्रतीक माने गए है ,और इस संसार में कोई भी चीजमाँगने और गिड़ गिडाने से नहीं मिलती उसके लिए कठिन संघर्ष करना होता है |हम अपने मूल्य ,आदर्श औरजीवन की हर उपलब्धि के लिए संघरशील होते है और उसमे जीत भी हासिल करते है मगर जब जीवन के किसीपहलू पर संघर्ष का नाम सुनते है तो घबराते जरूर है ,जबकि हम उससे भी विपरीत परिस्थितियों में सफलताहासिल कर चुके होते है ऐसे में यह कितना उचित है कि हम इन समस्याओं के सामने अपने को बौना साबितकरदें|
शान्ति की संजीविनी मिल जाएगी, जिंदगी की जंग में जीते अगर
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