जीवन दर्शन

post image

विश्वास के दायरे आवश्यक है संबंधों के लिए

हम जिस युग में जी रहे है वहां केवल जीवन कि तीव्र गति विद्यमान है |आदमी का सम्पूर्ण चिंतन इस बात से जुडारहता है कि कैसे भी वह स्वयं की आपूर्तियों सम्मान स्तर ओर आत्म स्वाभिमान को बनाए रखे ,इसके लिए वहतरह तरह के उपाय करता रहता है उसे सदैव यहं चिंता बनी रहती है की उसका समाज उसका परिवेश उसेअत्याधिकं प्रेम ओर सम्मान देता रहे मगर दूसरी ओर दूसरा पक्ष भ....

Viewed By : 199 Persons
post image

कार्य की प्राथमिकता ही महत्वपूर्ण है |

सम्पूर्ण जीवन में आदमी यही प्रयत्न करता रहता है कि वह कैसे सर्वाधिक सुखी हो सकता है उसके दैनिक जीवनके कार्य भी यहीं से निर्धारित कियेजाते है ओर यही मानदंड उसकी सम्पूर्ण गतिविधियों को पूर्ण करते है | मनमष्तिष्क ओर उसके हर प्रयत्न यह सिद्ध करते रहते है कि इस समय यह कार्य सबसे महत्वपूर्ण है ओर इसकार्य सेउसे सर्वाधिक सुख मिलने वाला है | परन्तु ये सब....

Viewed By : 223 Persons
post image

सब से सहजता से मिलिए

सामान्यत: हम समाज में जों व्यवहार दूसरों के साथ करते है वह ही दीर्घ काल में हमारी पहिचान सिद्ध करता है | हर इंसान की एक निश्चित पहिचान समाज द्वारा सहज ही निर्मित करदी जाती है ,युग ओर समय के प्रभाव भीउसपर कम प्रभावी हो हो पाते है| पिता पितामह एवंम अन्य परिवार के लोगो के प्रभाव भी इस पहिचान कोप्रभावित करते रहते है | कहने का तात्पर्य यह कि ह....

Viewed By : 235 Persons
post image

हू केयर्स कहीं कुछ खो तो नहीं रहा है ?

समाज परिवार ओर अपने परिवेश में हम इतने उलझ कर राह गए है कि अपने अलावा अन्य लोगों किमनोभावनाएँ हमारे लिए बेहद नगण्य साबित हो रही है |आज कि नयी पीढी इस बात ओर जुमले को सहज हीबोलना सीख गई है ,कि उसे किसीकी परवाह नहीं है वह केवल वही करना चाहती है जों उसे अच्छा दिखता है याथोड़े समयका झूठा संतोष मगर इसके लिए उसे क्या क्या चुकाना होता है इसका सही जबाब ....

Viewed By : 238 Persons
post image

जीवन जीना कला है

जीवन जीने के बहुत से तरीके है अनादी काल से इंसान ने अपने अनुसार जीवन का दोहन किया ओर वह बार बारओर अधिक ओर अधिक उपयोग उपभोग से जीवन को जीतने का प्रयत्न करता रहा है , सम्राट राजा महाराजा ओरसमाज के साधन संम्पन्न वर्ग ने अपने साधनों से ,शक्ति संपन्न लोगो ने अपनी शक्ति से ओर सत्ता संपन्न ने अपनेप्रभुत्व से हमेशा जीवन को अपने अनुरूप दोहन करने का अथक प....

Viewed By : 199 Persons
post image

तू मिटा के अपनी हस्ती इतिहास बन गया है

दोस्तों जीवन में उपलब्धियां दो ही तरीके से प्राप्त होती है एक शोर्ट कट से दूसरा लम्बे रास्तो से, नए मान दंडों कोनिर्मित करते हुए चलता हुआ कोई अकेला आदमी ,जिसे बार बार विचार क्रियान्वयन विरोधो और आक्षेपों के साथअपना मार्ग खोजना होता है , वह कैसे अपने आप को सिद्ध करे, इस को क्रियान्वित कर वह सम्पूर्ण जीवन को एकबड़ा संग्राम बना डालता है, उसके हर क्....

Viewed By : 179 Persons
post image

प्रेम का रूप पहचानिए वेलेंटाइन

प्रेम स्वयं समर्पण की सीमा में एक ऐसा अनुराग है जिसमे केवल अति प्रेम की परा काष्ठा पर सबकुछ लुटा देने का भाव होता है परन्तु जब इस भाव में  लेन  देन  का भाव प्रकट होने लगता है तो स्वयं प्रेम की परिभाषाएं बदल जाती हैं |  सेंट वेलेंटाइन प्रेम की एक जाग्रत परिभाषा बन कर समाज में प्रचलित रहे विगत १० वर्षों से इस प्रेम के....

Viewed By : 178 Persons
post image

क्षमा का मायने यह नहीं कि आप गलत है

क्ति हमेशा अपने कार्यों ओर अधिकार दायित्व के निर्वहन में लगा रहता है जीवन की प्रथम पाठशाळा से ही वहयह सीखता रहता है कि कैसे वह स्वयं को अधिक प्रभाव शाली एवं कार्य क्षम सिद्ध सके| इसके लिए उसे पूरे जीवनकुछ न कुछ सीखते रहना होता है , वह बार बार गलतिया करता है उन्हें सुधारता है ओर सारे जीवन को एक बड़ाट्रेनिग सेंटर बना डालता है |वह स्वयं ही बड़ा प्रश....

Viewed By : 287 Persons
post image

हमीं तुम क्या सभी में कुछ कमीं है

आदमी इश्वर की श्रेष्ठ कृति है उसे स्वयं को बार बार सिद्ध करना होता है यह जानते हुए की उसकी तमाम शक्तियां इश्वर के सामने या प्रकृति के सामने बहुत छोटी है समय ,उम्र ,अवस्था धन वैभव समाज परिवार और दूर तक उसकी सल्तनत भी बहुत छोटी है उसे हर समय यह भय रहता है की वह कहीं भी हार न जाए मगर प्रकृति का सत्य उसकी लौकिकअलौकिक शक्तिया अगम....

Viewed By : 212 Persons
post image

प्रश्नों के उत्तर दें, भविष्य की राह आसान होगी

जीवन के सामने जो ज्वलंत प्रश्न खड़े होते रहते है उनके सकारात्मक उत्तर खोजने की चेष्टा करें जीवन सत्य का रूप था तो इतनी जटिलताएं क्यों लक्ष्य यदि तय है तो भटकन कैसी ? आत्मा यदि अमर है तो भय किसका सुख दुःख यदि दौनों थे तो केवल सुख का चिंतन क्यों नहीं? व्यक्ति की सोच से यदि नकारात्मकता पैदा हुई तो उसका चिंतन क्यों?....

Viewed By : 207 Persons