भीड़ सा निर्मूल्य मत बनाओ जीवन को

कब तक महा पुरुषों के पद चिन्हों पर चलने का प्रयत्न किया जाए कब तक समय परिवर्तन और आधुनिकता के लिए  समय के साथ भागने का प्रयत्न करें ,शायद हमारी मौलिकता ख़त्म हो चुकी है हम बहुत सारी नावों पर एक साथ भागने के चक्कर में अपनी आत्मानुभूति ,आदर्शों  और हर जगह अस्थिर हो गए है शायद पुराने  मान दंड इस तरह से बदल दिए गए जिनका कोई महत्व ही नहीं रहा एक आधुनिकता प्यासी आधुनिकता जिसमे केवल अतृप्तता ,बेइंतहा खालीपन और नैराश्य है अच्छा बुरा सोचने का मायने केवल यह कि वह  उस समय अच्छा लग रहा है या नहीं ,यही दौड़ है ,यही विकास है, यही सांकृतिक प्रतिमान है तो भविष्य  का क्या ईश्वर जाने ।भीड़ सा निर्मूल्य मत बनाओ 

 जीवन  उन मान दडों का नाम है जहाँ अधिकाँश लोग एक भीड़ में जीने  का प्रयत्न करते है उनमे साहस नहीं  होता कि वो समाज को कोई आदर्श, सन्देश ,और सीख दे सके वे एक सामान्य भीड़ की तरह बिना नाम के ही होते   है  अपनी उपलब्धियों के लिए सजग और क्या चीज उन्हें सुख देगी यह आकलन, बस पूरा जीवन छोटी छोटी सी चीजों को बटोरने में लगा रहता है, केवल अपनी आपूर्तियाँ अपना स्वार्थ और अपने खोखली धारणाये लिए हम चलते रहते है यह भूलकर कि यह जीवन केवल इसका नाम ही नहीं कुछ पाने , बनाने और जीवन के अंत में  एक सुस्पष्ट  मार्ग छोड़ जाना जिसेसमय ,इतिहास औरभविष्य   हजारों साल तक नमन करता रहे |
 विवेकानन्द ,भगतसिह,सुखदेव,अरस्तु, आयस्टीन  गांधी मंडेला ,रामतीर्थ राम रहीम और ईसा ये सब आज हमारे मन में सर्वोपरि लगते है देश की  रक्षा में लगा नौजवान अपने सारे रिश्ते ,सुख ,सुविधाएं प्रेम और परिवार छोड़कर एक लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा है ,अपने सारे जीवन को बलिदानी जत्थों में बदले हुए देश की  सुरक्षा में लगे सैनिक बर्फ में अपने गलते हुए अंगों  की वेदना से अनभिज्ञ एक लक्ष्य की और संकल्पित दिखाई देते है और हम युवा यदि केवल अपने स्वार्थों , उपलब्धियों  को प्राप्त करने में लगे है तो शायद चयन आपको ही करना होगा ,|
दोस्त जीवन इसका नाम नहीं है कि आप कितने प्रसन्न और अमीर हुए न ही उसका मायने यह है कि आपने शारीरिक और मानसिक  तौर पर कितना सुख  भोगा ,या आप समाज में कितने प्रसंशित हुए बल्कि सही अर्थों में जीवन का मायने यह था कि आपने अपने समाज राष्ट्र ,परिवार और लोगों के प्रति क्या किया क्या जीवन पाने का नाम है नहीं , बल्कि त्याग ,अपरिगृह और सबकुछलुटा देने का संकल्प है जीवन का नाम ,हम धन वैभव योवन ,सुख ,रूप रंग और आधुनिकता की दौड़ में केवल यदि अपने स्वार्थों और अपनी उपलब्धियों को ही याद रखरख  सके तो भीड़ की ही तरह समय हमें शीघ्र  मिटा   देगा 
समय न मेरा हुआ न तुम्हारा होगा उसे बांधने के लिए आपपर लक्ष्य होने चाहिए अन्यथा आपका जीवन रथ वैसे ही भटक जावेगा जैसे तिनके आन्धी  के प्रचंड वेग में भटक जातेहै। 
लक्ष्य कीप्राप्ति और चिंतन! तथा उसके लिए प्रयत्न का एक अनवरत  क्रम चलता रहना चाहिए जैसे ही आप इस गति को भूले तुरंत आपका लक्ष्य आपसेआपसे  दूर होने लगता है | 
प्रेम गली अति  साँकरी  जा में दो न समायें ,अर्थात  एक समय में एक से ही प्रेम हो सकताहै ,हम या तो अपनी उपलब्धियों स्वार्थ और सुख की बात करलें या फिर अपने लक्य की सफलता 
 सफलता जीत ,का शॉर्टकट हो सकता है मगर ध्यान रहे कि जीवन में उद्देश्य तक पहुँचाना और उसके सम्पादन के बाद संतोष  का स्तर बनाना जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है | 
सुख दुःख और मन अपमान कि कामनाएं मन को कमजोर और लक्ष्य से भटकाने का प्रयत्न करती है बार बार यह प्रयत्न क्यों कि सब हमारी प्रसंशा करें सुख दुःख में सम भाव  बनाये रखें 
जीवन में समाज के   हर निर्णय से आप खुश हो यह जरूरी तो नहीं है ना ,मगर  यह ध्यान रखें कि अपने लक्ष्य के मार्गों से समझौता नहीं करें | 
 आदर्शों को बहुत अडिग बनाइये और उनसे समझौता न किया जाए आदर्शों के लिए सम्बन्धों की बलि चढाने में भी संकोच नहीं करें क्योकि यह आवश्यक नहीं कि आप व्यक्ति समय और परिवेश के साथ अपने आदर्श बदलते रहें 
जो कार्य अपने व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए किये जाएँ उनके लिए दूसरों कि सहमति की अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए क्योकि ये आपके भविष्यभके स्वरुप को भी तय करेंगे | 

Previous Post

किससे है शिकायत यहाँ चहरे नक

Next Post

सफलता से पहले कुछ नहीं बढ़े च

Related posts

Comments0

Leave a comment