अनंत शक्ति का स्त्रोत है आप

हर आदमी अपनी समस्याएं खोखलापन ओर जटिलताएं लिए संघर्ष रत है ,उसे एक समस्या से छुटकारा मिलतेही दूसरी समस्या घेर लेती है ओर हर रोज का दायित्व निभाते २ उसका पूरा जीवन निकलजाता है जबकिभारतीय दर्शन धर्म ओर संसार का हर सम्प्रदाय उसमे अपरमित शक्ति होने कि बात स्वीकार करता रहाब्रह्माण्ड की अनंत शक्ति आदमी में निहित थी ,वह शक्ति , क्रियान्वयानता ओर तीव्र गति का स्त्रोत भी था मगर वे क्या कारण रहे जिनसे वह अपनी सम्पूर्ण शक्तियों से अनभिज्ञ केवल सहानभूति का कारक बना रहा ,शायद यहाँकुछ क्रियान्वयन की त्रुटि द्रष्टिगत होती है |

सबसे दुर्लभ मनुज शरीरा

शरीर माध्यम खलु धर्म, साधनम

ब्रहमांड का सर्वशक्तिमान स्वरुप इंसान ही है
उपरोक्त धर्म दर्शन या विचार यह स्पष्ट करते है कि मनुष्य इस ब्रहमांड का सबसे शक्तिशाली तत्त्व है जों उसकेअनुसार ही अति गतिमान ओर कार्य क्षम है |विज्ञान भी आज यह मानाने लगा है कि मनुष्य कि रचना एक ऊर्जापिंड है वह नियत गति ओर असीमित शक्ति के साथ संचालित है ,वह एक नियत आवृति में गति मान है ,उसकेप्रभाव एवं क्रियान्वयन अकथनीय है |
एक मत यह भी मनाता है कि यदि एक बड़े मिक्रोस्कोप से आदमी का शरीर देखा जाए तो वहां केवल कुछ प्रकाशएवं न्यूट्रोन एलोक्ट्रोंन प्रोटोन नियत गति से गतिमान दिखाई देंगे मित्रो ब्रहमांड ,भी इन्ही सब से निर्मित एकऐसा महापिंड है फिर आपभी वैसे ही शक्ति शाली हुए न जैसा कि ब्रहमांड है इसी लिए धर्म साहित्य ओर विज्ञान आदमी को सर्वशाक्तियो मान मनाता रहा है |

यहाँ प्रश्न यह उठता है कि वह अपनी शक्ति से अनभिज्ञ अपनी गति शक्ति ओर क्रियान्वयानता से कही कुछ खोबैठा है वह फ्रीक्वेंसी सिद्धांत के अणुओं को ठीक से संचालित नहीं कर पा रहा है यदि वह अपनी इन शक्तियों को चरण बद्ध ओर नियत गति ओर क्रम बद्ध बनाए रखे तो शायद उससे अधिक शक्तिशाली कोई नहीं हो ओर वह शक्तिआपमें निहित है |

मित्रों आपको बस इतना करना है कि आप अपनी इस शक्ति का चिंतन आरम्भ करें ओर धीरे धीरे अपने मूलस्वरूपको पहिचाने , समस्याओं के कारणों के साथ आप पैदा ही नहीं हुए हो जों समस्या जहासे पैदा हुई है उसकाहल भी तय है केवल आपको धनात्मक सोच बनाये रखना है एक दिन समय आपको सर्वशक्तिमान सिद्ध करदेगा |

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