जीवन दर्शन

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अपनी कमजोरियों को शक्ति में बदलिये

मनुष्य स्वभाव से गलतियों का पुतला रहा है जीवन बार बार गलतिया करता है दुःख पाता  है और फिर चल देता है अपने अनजान गंतव्य की और यहाँ यह महत्वपूर्ण है कि वह चलता रहता है यातना पाता  रहता है और बार बार वही गलतियां करता जाता है ,न उसे अपने में परिवर्तन की फिक्र होती है न वह संकल्प ही ले पाता है कि वह कुछ आगे सीखेगा | जीवन चलता रहता है और समय....

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पहले स्वयं में परिवर्तन करें दूसरों में नहीं

दूसरों के व्यवहार का प्रतिउत्तर देने में हम अपने व्यवहार में जरा सी भी देरी नहीं करते और हर व्यवहार में हमारी यह कोशिश बनी रहती है  कि  हम स्वयं कोश्रेष्ठ सिद्ध करते हुए सामने वाले को  हारा  हुआ सिद्ध अवश्य करदें | मित्रों जीवन कोई ऐसा विषय नहीं है जिसमे हर प्रतिउत्तर में आप सही ही हों ,क्रोध , दुःख , पश्चाताप ,ख़ुशी या दर्द ....

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चिनौतियाँ है ज़िंदगी स्वीकार कर

मनुष्य का सम्पूर्ण में जीवन  बड़ा ही विचित्र  सयोग बनाता रहता है वह चिरंतन शान्ति की खोज में व्यस्त रहता है बार बार प्रयास दर प्रयास करता  हुआ शान्ति उत्पन्न कर पाता  है वहीं  उसे अनेक संभावनाएं मुंह चिड़ाने लगती है ,यहां यह  अति महत्वपूर्ण है कि जैसे कोई  प्रबल कामना मन  में  आती है  पूरा मन मष्....

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गलतियों की स्वीकारोक्ति

हमीं सब क्या सभी मैं कुछ कमीं है , न धरती देवताओं से थमीं है  गगन आंसूं न पोछेंगा तुम्हारे , सहारा आदमी का आदमी है  आदमी गलतियों का पुतला है और उसे  गलतियां करने का अधिकार भी  है, उपरोक्त पक्तियों में किसी कवि की कल्पना यही दर्शाती है  कि  समय परिस्थितियों और सामाजिक मानसिक और समय की मांग के अनुरूप ....

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गुणात्मकजीवन का मूल है चिंतन की स्थिरता

सम्पूर्ण जीवन आदमी का यह प्रयास रहता है की वह पूर्ण शांति और संसाधनो की बहुतायत में अति विलासी जीवन का उपभोग करे ,उसके पास असीम संपत्ति , शक्ति , प्रभुत्व , यश और अनुयायी समाज हो , उसके वैभव को मानने वाले उसे सदैव बहुत ऊँचा मान कर प्रसंशा देते रहें |  जो भी समाज राष्ट्र में श्रेष्ठ हो उसपर केवल उसका ही अधिकार हो ,वह अपना भविष्य तो सुरक्षित ....

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सफलता का सशक्त साधन है चिंतन

एक समय तीन तपस्वी गहन तपस्या में  लीन थे   तभी  एक ईश्वर का दूत वह से गुजरा उसे  पहले सन्यासी ने प्रणाम करउससे प्रार्थना की कि कृपया आप ईश्वर से यह पूछना की वो मुझे कब मिलेंगे कई वर्ष होगये है मुझे ,इसी प्रकार तीनों सन्यासियों ने उस दूत से प्रार्थना की कि एकबार आप पूछ कर अवश्य बताना  कि  ईश्वर हमें कब म....

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संकल्प की साधना ही सफलता है

जीवन बहुत सरल और अत्यधिक कठिन हो  सकता है ,यहां हर आदमी बहुत जल्दी में  है, और भागता जा रहा है| उसकी इच्छाएं बढ़तीजारही है ,जीवन के आंकलन धुंधलें होते जारहे है ,और बार बार की निराशाओं से तंग आकर वह स्वयं को दोषारोपित करने लगा है ,परिणाम यह है की उसने स्वयं अपनी जटिलताएं इस रूप में बढ़। ली है जहाँ  वह स्वयं अपने हीबनाये  चक्रव....

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गुणवत्ता पूर्ण जीवन और लक्ष्य

हम सब जीवन से बहुत कुछ चाहते है --  सफलता  ,नाम , पैसा , अधिकार , सत्ता , प्रेम , सौहार्द , और भी बहुत कुछ कहने का आशय यह की हर सबसे ऊँचे बिंदु पर पहुचने की कल्पना हमारे मन मष्तिष्क में  बनी  रहती  है और यदि कही हम ये सब प्राप्त नहीं कर पाते तो हमे अपने आपसे कष्ट निराशा और क्षोभ होने लगता है , हर बात में अपने आपको दोष दे....

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सफलता की सीढ़ी है समस्याएं ,घबराएं नहीं

महाभारत के युद्ध के बाद कृष्ण ने सबको यथोचित आशीर्वाद दिए और जब अंत में वे कुंती से यह कहने लगे की बुआ अब आप भी जो चाहो वो मांग सकती हो ,कुंती ने विनम्र भाव से यही कहा केशव मुझे दुःख दो समस्याएं दो और ऐसी यातनाएं दो जिनसे मै प्रति पल आपसे जुडी रहूँ और आपके ध्यान में बनी रहूँ ,केशव सुख ,साधन सम्पन्नता और अधिक सत्ता का केंद्रीयकरण स्वयं अहंकार को ....

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सफलता एवं जीवन को जीतने का एक मार्ग

एक शिष्य ने गुरु से प्रश्न किया कि देव मैं  जानना चाहता हूँ कि जीवन की सफलता का क्या राज है और  कैसे आदमी जीवन को जीत सकता है गुरु ने उत्तर दिया पुत्र आप प्रातः बेला में मुझे नदी के किनारे मिलें ,प्रातः गुरुशिष्य नदी पर  पहुंचे और स्नान आरम्भ किया अचानक शिष्य गहरे गड्ढे में डूबने लगा पानी उसके ऊपर हावी होता रहा और वह बेहोशी की हाल....

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