गायत्री मंत्र की महिमा
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
ॐ : परब्रह्मा का अभिवाच्य शब्द
भूः : भूलोक
भुवः : अंतरिक्ष लोक
स्वः : स्वर्गलोक
त : परमात्मा अथवा ब्रह्म
सवितुः : ईश्वर अथवा सृष्टि कर्ता
वरेण्यम : पूजनीय
भर्गः: अज्ञान तथा पाप निवारक
देवस्य : ज्ञान स्वरुप भगवान का
धीमहि : हम ध्यान करते है
धियो : बुद्धि प्रज्ञा
योः : जो
नः : हमें
प्रचोदयात् : प्रकाशित करें।
अर्थ: : हम ईश्वर की महिमा का ध्यान करते हैं, जिसने इस संसार को उत्पन्न किया है, जो पूजनीय है, जो ज्ञान का भंडार है, जो पापों तथा अज्ञान की दूर करने वाला हैं- वह हमें प्रकाश दिखाए और हमें सत्य पथ पर ले जाए।
गायत्री मंत्र की महिमा
भारतीय दर्शन में गायत्री महा मंत्र के साथ ध्यान या योग करने की विधि अत्यंत सरल है। इस मंत्र के साथ शान्त वातावरण में 18 min का योग - ध्यान साधना आपको जीवन की संपूर्णता अवश्य प्रदान करेगा । इसके प्रभाव मनुष्य की सोच और सीमाओं से परे है ।
गायत्री मंत्र एक मंत्र साधना हैं जो व्यक्ति के पास है । शांत वातावरण में आंख बंद करके श्रवण करे । और मंत्र को दोहराये
गायत्री मंत्र प्रभाव में अजेय सिद्धि , ज्ञान , योग , वैराग्य , धन , परिवार ,पुत्र , पौत्रादि ,देश , समाज , राज्य और विश्व , यश और कीर्ति ,वैभव ,शक्ति ,भक्ति , मुक्ति ,ओर अपराजेय विद्याओं का विजेता है । भारतीय वैदिक परम्परा में सर्वोत्तम स्थान पर वेद माता गायत्री को रखा गया है ।
भारतीय पुरातन व्यवस्था में शक्ति सम्पन्न वैभवशाली ओर प्रकाण्ड पांडित्य के लिए इस मंत्र या ऐसे ही मंत्रो का प्रयोग किया जाता रहा है । गायत्री मंत्र की महिमा
वैदिक सार टीकाओं में इसे सर्व शक्तिमान मंत्र माना गया है । ऋग्वेद के तीसरे मण्डल के 62 अध्याय का 10 वा श्लोक गायत्री मंत्र ही है ।
गायत्री मंत्र पर अभी तक यह शोध प्राथमिक अवस्था मे है। बाद में इसके चौकानें वाले परिणाम आएंगे । व्यक्ति के जीवन को धनांत्मक बनाने में यह मंत्र सक्षम सिद्ध होगा । वर्तमान में zee news द्वारा गायत्री मंत्र DNA में एक शोध का वर्णन किया गया । जिसमें AIMS DELHI एवम I.I.T के एक प्रोफसर द्वारा यह सिद्ध किया गया की गायत्री मंत्र नियमित पढ़ने वाले और उसके साथ ध्यान करने वाले समूह को बिना गायत्री मंत्र जाप करने वाले समूह से अधिक सकारात्मक , ज्ञानी ओर क्रियान्वयन छमता में धनात्मक देखा गया ।।
गायत्री मंत्र का निरन्तर जप रोगियों को अच्छा करने और आत्माओं की उन्नति के लिए उपयोगी है। गायत्री का स्थिर चित्त और शान्त हृदय से किया हुआ जप आपत्तिकाल के संकटों को दूर करने का प्रभाव रखता है
ऋषियों ने जो अमूल्य रत्न हमको दिऐ हैं, उनमें से एक अनुपम रत्न गायत्री से बुद्धि पवित्र होती है।"
नीचे दिए गए वीडियो पर जाकर 18 min का ध्यान योग किया जा सकता है ।
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