दायित्वों की आपूर्तियाँ बनाम सफलता
सामान्यतःहम केवल अधिकारों के लिए संघर्ष रत रहते हैं ,हमारी कोई व्यवस्था या हमारी जिद जब पूरी नहीं हो रहीहोती&n....
सामान्यतःहम केवल अधिकारों के लिए संघर्ष रत रहते हैं ,हमारी कोई व्यवस्था या हमारी जिद जब पूरी नहीं हो रहीहोती&n....
मै प्रेम था इसलिए बे जुबान था समाज ने अपने अपने हिसाब से मेरा उपयोग किया और मैं वैसे ही खड़ा अपनी बेबसी पर आंसूं बहता रहा ,लोग आते गए और मैं वही खड़ा अडिग सा अपनी बदलती हुईं परिभाषाएं देखता रहा उदास और अनमना सा , मुझे याद आने लगे राम रहीम और वो ऐतिहासिक किस्से जिनमे बलिदान के बड़े बड़े अध्याय थे मुझे याद ....
आज हम नवीन युग में जी रहे है नई तकनीकें है ,उपभोग केलिए अनगिनत सामिग्री है सम्पूर्ण विश्व हाथों में है अनगिनत रिणात्मक धनात्मक जानकारियां है और आदमी अपने अनुसार उनका प्रयोग करके अपने संतोष के स्तर को बनाये रखना चाहता है ,परन्तु सबसे बड़ी समस्या यह है कि तमाम प्रयत्न करने के बाद....
जीवन का हर पल महत्वपूर्ण और अति विचारणीय है उसकी हर क्रिया के पीछे एक बड़ा चिंतन चाहिये होता है क्योकि जीवन ईश्वर कि सर्वोच्च श्रेष्ठ कृति है और उसमें स्वयं को सिद्ध करने कि ताकत भी है ,अतः उसके हर विचार कर्म और सोच को सकारात्मक होना चाहिए !आज जब समाज में रेप हत्या भ्रष्टाचार और अनादर्शों का बोल बाला है हर आदमी झूठ ....
परिवर्तन जीवन का आधार है और उसकी स्वीकारोक्ति और समयानुसार शीघ्र निर्णय से जीवन में बहुत तेजी से सफलता पाई जा सकती है ।सामान्यत जीवन में घटनाएँ गुजरती जाती है और हम अपने परिवेश और समय की स्थिति के साथ चलते चले जाते है ।कभी हमे परिवेश प्रभावित करता है कभी शारीरिक और मानसिक आवश्यकताएं हमारे उद्देश्यों पर प्रश्नवाचक हो जाती है और एक बार....
लोगो के लिए हमें झूठ फरेब और असत्य का व्यवहार अपना कर बार बार चलना पड़ता है ये लोग हमारे घातक सिद्ध होते है वे हमारी गरिमा कोसहजहीधूमिल कर देते है और भविष्य में हमे केवल हताशा ही मिलती है क्योकि हम जीवन की सार्थकता को समझ ही नहीं पाए थे जिसका दंड हमे ही भुगतना था ....
ऋणात्मक सोच से हटकर स्वयं को एकत्रित करो स्वांसों के क्रम को बदलो और तुरंत नकारात्मकता को धराशाही कीजिये अब अपना नया अध्याय लिखिए जीत का ख़ुशी का और सबको पीछे छोड़ने का --------- जीवन हर विकास के साथ अनेकों समस्याएँ , अभाव और कमियां पैदा करता रहता है और आदमी अपनी ही बुद्धि के हिसाब से उसके हल ढूढता रहता है और....
जीवन भर आदमी को केवल दो ही चीजें परेशान करती है प्रथम अपेक्षा और दूसरी है उपेक्षा ,जीवन से, अपनों से, समाज से और परायों से हम सब से कुछ न कुछ चाहते रहते है जिससे हम कुछ नहीं चाहते उससे इतना तो चाहते ही है की वह हमारी स्वायंभू सत्ता को आँख बंद करके मानता रहे और वह हमसे छोटा है उसे यह ध्यान बना रहे ।दूसरी और हमे सबसे ज्यादा आहात केवल य....
हर कदम पर रौशनीकी उम्मीद है जों .जिसकी हर किरण दिशा ओर मार्गदर्शन करती है ओर अन्नत तक बिखरे पड़े मार्गों का पथ प्रदर्शन करती है ,जों मार्ग के हरेक पथिक को एक लाइट पार करते ही दूसरे की उम्मीद बंधा देती है शायद आदमी भी इसी मार्ग दर्शक का मायने होता तो कितना अच्छा होता समाज मेंफैली भ्रांतियों का निराकरण खुद आदमी ही कर देता द्वेष जलन ओर प्रतियोगिता स....
हम सब अपने ही बुने जालों में फसे समय का इन्तजार कर रहे है ,हर आदमी व्यस्त है उसपर आपके लिए सोचने ओर दुःख मनाने का समय कहाँ है , वह तो अपने ही फेकें पांसो से खेल रहा है , सच न्याय ओर विश्वास सब बहुत छोटे है ओर केवल आदमी ओर उसकी वर्तमान की जरूरतें ,और कुछ पलों का संतोष है जों उसने किसीसे छीन कर अपने नाम लिख लिया है |चलिए यही सही आप अपनी मन बुद्धि ....