जीवन दर्शन

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दोस्त बनाइये मगर सीमा और सावधानी से

दोस्तों के बारे में शायरों और कवियों ने बहुत लिखा कुछ आपके सामने है दोस्तों ने दोस्ती में ग़म दिए है इस तरह दोस्तों से दोस्ती का हक अदा होता नहीं ------ मेरे अपने मेरे होने की निशानी मांगे आइना मुझसे मेरी पहली सी सूरत मांगे ------- जीवन इन सब के बीच अपनी पहचान ढूढता रहता है ,हम जब शरीर ,मन और समाज से क....

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अपनी पहचान ढूढ़ने को भटकता इंसान

आज हम जिस समाज जिस व्यवस्था में खड़े है वहा हर कोई अपनी ही पहिचान के लिए परेशान दिखाई देरहा है यहाँ कवियों और शायरों की पंक्तियाँ अधिक सशक्त दिखाती है| " इस शहर में हर शख्श परेशान सा क्यों है " "मंजिल तमाम उम्र मुझे ढूढती रही " अर्थात हम कुछ न कुछ ढूढ़ ही रहे थे जो हमारा तमाम संतोष सब्र और खुशी छीन रहा था उसक....

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बुजुर्गों को संम्मान और समय दें,आपका भविष्य सुरक्षित होगा |

एक बड़ा योद्धा विश्व विजय के बाद सबको जीतने का एहम लिए एक बड़े कुँए के पास जोर जोर से चिल्ला रहा था, कह रहा था कि, है कोई वीर जो मझे चिनौती दे सके , मे एक पल मे सबको नेस्तनाबूद कर दूंगा, |दूर से आती हुई आवाज से वह क्रोध के चरम पर पहुँच गया ,उसकाशारीर काँपने लगा ,परन्तु जब वह ललकार देता था उसे आवाज निरंतर सुनाई देती थी |उसी समय कुलगुरु ने अकस्मात....

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दूसरों की समस्याओं में सहायता करें ,मजाक न उडाये

समर शेष हैं नहीं का भागी केवल व्याध जो तटस्थ है समय लिखेगा उसका भी अपराध जीवन संग्राम है और यहाँ हर ,सम्बन्ध और परिस्थितियाँ आपको यही समझाती है कि मानवीय मूल्यों की रक्षा करते रहें तथा अपने आचार और विचार के बारे में सोच कर उसे परिष्कृत करते रहें |बहुधा यह देखने में आता है की यदि किसी एक व्यक्ति पर कोई बड़ी समस्या आजाती है तो हम उसक....

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कोई हमारी समस्याओं को हल कर रहा है |

हम आधुनिक हो रहे थे पश्चिमी सभ्यता और विकास के नाम पर हमने दो चीजें खोई थी पहला विश्वास और दूसरा धैर्य | हम विकास की जटिलताओं में स्वयं इस तरह से उलझ गए की हम पर अपनी ही समस्याओं के हल नही थे ,जबकि हम जिनका अनुशरण कर रहे थे वे विकसित राष्ट्र हमसे अधिक विश्वास मय दिखाई दे रहे थे | वे हर समस्या के हल में अपने इष्ट के प्रति समर्पण का भाव लिए खड़े थे....

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निर्णय करें मगर सावधानी से

इंसान को हर पल निर्णय करना होता है |बचपन से अंत तक उसे कुछ न कुछ तय करना होता है और उसके तय किए मार्ग पर ही उसकी जीवन की रेल चल पाती है |उसके विकास और विनाश का द्वार यही से आरम्भ हो जाता है |हर निर्णय के पीछे उसकी उपलब्धियां और भय छिपा होता है और उसे ही इस भय पर विजय प्राप्त करना होता है |आरम्भ में उसके निर्णयों को माँ पिता और उसके आस पास के लोग....

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शून्य की सृष्टि विचारणीय

शून्य की सृष्टि विचारणीय के आरम्भ में कुछ भी तो नही था ,न भोतिक और न अभोतिक जीवन नही था केवल था शून्य और वही हर निर्माण का आधार भी रहा है शून्य यह बताता है कीउससे पूर्व कुछ नही है और उसके बाद सम्पूर्ण आरम्भ है वह जीवन से पहले भी विद्यमान था उसे जीवन के बाद भी रहना था और वह चिरंतन पृथ्वी के अस्तित्व से पहले भी सतत अस्तित्व मे था ब्रह्माण्ड का हर ....

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अतीत को वर्तमान से जीतो भविष्य स्वर्णिम हैं

अतीत की लाशें लेकर हम चलते रहे ,समय बदलता रहा और अतीत के जुर्म के जिम्मेदार हमारे सामने से गुजरते रहे वे हमे कमजोर, कमतर और हारा हुआ देखना चाहते थे हमें और यदि ये न हुआ तो हम स्वयं अपनी चोट ,धोखे और छलावे को याद कर कर के स्वयं को कमजोर बनाते रहे |हम अपने आप से उबरना नहीं चाहते थे, और यही जीवन का ग़लत मोड़ हम सब झेल रहे थे |दुनिया में एसा कोई नही....

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बदलता समय और उसका मूल्यांकन

युग मान्यताए संस्कार और समय सब ही तो बदल रहा था फिर हमारे समाज परिवार और राष्ट्र की सोच में परिवर्तन क्यो नही होता ,उन सब में भी बदलाव आया सब बदलता चला गया मूल्य आदर्श परमार्थ की भावनाए धराशाही होने लगी, घर के बच्चे बदलाव के बड़े चक्रवात में उड़ने लगे और उनके अपने उन्हें बचाने के फेर मे बार बार चोटिल होते रहे, किसी पर समय ही कहाँ था कि वे दूसरे क....

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सम्बन्ध और उनका सार

सम्बन्ध और उनका सार संबंध काल से आदमी के मष्तिष्क मे यह प्रश्न उठता रहा की वह जीवन मे रिश्तो और संबंधो का एक ऐसा ताना बना बुने जिसमे सम्बन्ध अपने पूर्ण रूप में जीवन की सार्थकता दिखा सके उसके अन्तः करण पर भविष्य का भय उन्नत और सहयोगी संबंधो की छाप तथा जीवन के हर पल को सहयोग और दिशा निर्देशन की आवश्यकता दिखाई है उसे अपने उपर अविश्वास होता है उसकी ....

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