जीवन दर्शन

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क्या जरूरी है ये पता तो चले स्वयं को आत्म केन्द्रित करें

जीवन निकलता जाता है छण  छण बीता जाता है और जीवन हर पल मन यह जानने   की कोशिश करता रहता है कि  क्या उसके लिए आवश्यक है ,वह जीवन की हर जरूरत को  किस क्रम में रखे जिससे उसे सबसे ज्यादा संतोष प्राप्त हो सके और वह निरंतर इसी क्रम प्रयास करता रहा है ।उम्र समय परिवार परिवेश और हर बदलती स्थिति परिस्थिति में उसकी प्राथमिकताएं बदल....

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महिला सशक्तिकरण

महिला  सशक्तिकरण की बात आज भारत जैसे देश में  बड़ी विडम्बना का विषय है जिस राष्ट्र में माँ की सम्पूर्ण शक्ति में सारे देवताओं के शक्ति सार को तिरोहित किया गया हो, वहाँ आज हम फिर उसे अबला बना कर  सशक्त करना चाहते है शायद यह कितना  चिंतनीय विषय है ।इस सम्पूर्ण व्यवस्था में महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि हमारी कार्य पद्धति और सामाजिक ढ....

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प्रेम

प्रेम का विराट अर्थ है उसे अपने स्वार्थी अर्थों से जोडकर  छोटा न बनाया जाए अबोध बालक का चाँद से अपनी माँ से और अपने रंग बिरंगे खिलौनों से होता नैसर्गिक प्रेम ,माँ का अपने अबोध बच्चे के कपड़ो, भोजन और हजारों चिंताओं के समूह से उलझा जीवनउसी प्रेम की एक बानगी है ।प्रकृति का ब्रह्माण्ड से और प्रत्येक जीव का अपने परिवेश से प्रेम उसी प्रेम की निशा....

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महत्व समझे स्वयं का

जो भी अनिश्चित है  उसे श्रेष्ठ बनाने के लिए इंसानी प्रयास किये जातेहै  मृत्यु  निश्चित है  परन्तु उसका समय और भविष्य निश्चित नहीं है इस लिए  हम अपने समय और भविष्य को श्रेष्ठ बनाने के प्रयास में लगे रहते है और  जीवन उन्हें अमर भी कर देता है जो लोग उस अनिश्चित के लिए  अनिश्चित  व्....

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जीवन के अध्याय में सॉरी नहीं होता

आदमी का स्वाभाव स्वार्थों ,लालच और अपने पराये में लिपटा रहता है  फिर वर्षों की साधना और कठोर नियंत्रण के बाद वह अपने आप को परमार्थ  सत्य और अहिंसा के मार्ग पर ला पाता  है  वहां यह प्रश्न अवश्य बना रहता है कि  हम कितना सफल हो पाए और यही निर्णय करने में जीवन बीत जाता है ....

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मिलें मगर सावधानी से

संसार में अनगिनत लोग हमे मिलते है जो हमे अपने अपने अनुसार  चलता देखना चाहते है परन्तु आदमी जो अपने अनुसार रास्ते बनाते है वो ही जीवन में सफल हो पाते वो ही  इतिहास पुरुष होते है ,हम किसी से मिलकर अच्छा अनुभव करते है तो शायद धनात्मक है  जिनसे मिलकर हमे भय अपराधबोध , और जीवनकी ऋणात्मकता का अनुभव हो वो सब हमारे  जीव....

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हारता सा लेवल ऑफ़ सेटिसफ़ेकशन

बहुत छोटा था  मै ढेर खिलोने थे मेरे पास जो आता था नया खिलौना जरूर लाता था और मै  बिना वक्त गंवाए नए खिलोनोसे खेलने में जुट जाता था और थोड़ी ही देर में मेरा मन उस खिलोने से भर जाता था और मन फिर एक नए खिलोने की आशा करने लगता था ।पिता जी नाराज होते हुए कहते थे इतना ढेर लगा है मगर तुम्हारा पेट नहीं भरता मन तो तुम्हारा भर ही नहीं सकता कल तुम....

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स्वार्थी, प्रेक्टिकल या मोर्डन

स्वार्थी, प्रेक्टिकल या मोर्डन बड़े छोटे शब्द है परन्तु शायद आज की युवा पीढ़ी के लिए ये शब्द उनकी दबी पिसी  हीन  भावना को प्रस्तुत करने में प्रमुख भूमिका निभा रहे  है । छोटे छोटे ग्रामों कस्बो और संयमित  परिवारों में अनुशाशन में पलने वाले बच्चे आधुनिक शिक्षा और गिनी चुनी डिग्रियों से शिक्षित होकर स्वयं को बेहद मोर्डन और....

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स्टीव जोब्स युवा प्रेरक कर्ण का विजयी निर्वाण

हमारा युवा नायक स्टीव जोब्स एक पूँजी पति ,सामान्य इंसान या एक सी . ई . ओ. ही नहीं वरन वर्तमान युवा शक्ति के लिए एक ऐसा मान दंड है जों आज के युवा को नयी दिशा देकर उसे नए सिरे से नव निर्मित करने में सक्षम है सम्पूर्ण संसार ने इतिहास पुरुष के रूप में नेल्सन मंडेला ,गांधी ,सिकंदर , अकबर , ओर हजारों ऐसी शख्सियत देखी है जिन्हें महान कहा गया है मगर हमा....

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कैसे जीतें सबको

हर आदमी जब स्वयं को श्रेष्ठ समझाने की होड़ में लगा हो ,जब परिवार ,समाज ओर राष्ट्र का हर नागरिक अपनेआपको एक अलग महत्व दे बैठा हो, वहां सबसे बड़ी समस्या यही है कि हम अपने आपको कैसे स्थापित करें,कैसेसबको यह समझाए कि हमारे मूल्य ,आदर्श सत्य ओर नैतिकताके आचरण से हम समाज ओर राष्ट्र को हमएक नई दिशा देना चाहते है |हर व्यक्ति समय ओर परिस्थिति के लिए हमे ....

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