दोस्त मुझको मेरी पहचान दे समस्या ओर सफलता
बहुत बड़ा है ये संसार ओर हर इन्सान की बहुत छोटी है सीमाएं वह अपने कुछ अपनों में खड़ा अपनी पहिचान ढूढता रहताहै, ओर बार बार उसे अपने ही किये पर पछतावा होता रहता है |मन क्लांत होकर अपने अतीत को खोजता झांकता ओर अपराध बोधों से ग्रसित होता रहता है |दुःख का कारण भी कोई अपना बहुत निकट का ही होता है जिसे हम न छोड़पाते है, न स्वीकार कर पाते है|द्वेष ....