चार सोपान शान्ति एवं जीवन के सहज आदर्श

हर जीव की कमाना है कि वह सुख पूर्वक जीवन को नए आयाम देता रहे वह समाज परिवार राष्ट्र में उच्च आदर्शों कि स्थापना कर पाए, उसके लिए उसने तमाम प्रयास किये हैवह कहाँ तक सफल हो पाया यह स्वयं में प्रश्न चिन्ह ही रहा है आज जब आदमी आदमी का प्रतियोगी हो गया है ,हर जीवन में सुविधाओं कि होड़ मची हो ,ओर हर आदमी अपने निहित स्वार्थों के लिए कुछ भी करने को तैयार हो गया हो वहां शान्ति ,सौहार्द ओर प्रेम की बात करना बेमानी सी दिखाई देती है ,सत्य को कमजोर ओर आदर्शों को रूढ़िवादी कहा जा रहा हो ओर हर आदमी स्वयं को श्रेष्ठ बताने की होड़ में लगा हो तो आप बताइए कि उसे जीवन की मूल शान्ति हासिल कैसे हो पाएगी
इसके लिए धर्म चार सहज योग मध्याम बताता है एक बार प्रोयोग अवश्य करें

अहंकार का त्याग जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है यही से मनुष्य मनुष्य में भेद ओर प्रतियोगिता पैदा होती है
जों दीर्घ काल में आपको केवल अपराध बोध ओर निराशा देती है

सत्य की शक्ति जीवन में सबसे बड़ी है जों मन ओर समय के साथ आपकी आत्म चेतना को ओर अधिक शक्ति शाली बना देती है जिसके परिणाम देर से सही मगर १००प्रतिशत तक आपके मार्ग को अधिक सुगम ओर पारदर्शी बना देते है

स्वयं को अनुवत बनने का प्रयत्न करें जब आप स्वयं को छोटा मान लेतेहै तो आपमें से बड़े बनने या दिखने की छोटी मानसिकता स्वयं विलुप्त हो जाती है

आत्मा का साक्षात्कार करें ओर आत्मचिंतन में स्वयं का आकलन करें की आपके जन्म ओर क्रिया का उद्देश्य क्या है क्या आप स्वयं अपने कर्म विचार में संतुष्ट है
यही सिद्धांत आपको वह शक्ति जिसे आप खो चुके है शायद आपको नई दिशा के साथ उपलब्ध हो सकें

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