स्वयं का आंकलन करें|

हम अपने अनुसार समय व्यतीत करते है ,अपने सही ग़लत को सबसे ज्यादा अहमियत देते है ,अपनी सल्तनत केहम अकेले शहंशाह होते है ,फिर भी हर गुजरता हुआ पल हमारे लिए एक अपराध बोध पश्चाताप या आत्म वंचनाक्यों बना रहता है शायद हमें अभी और मूल्य और आदर्शों की स्थापना करनी चाहिए |यह जान ले की हमारीआत्मा और ईश्वर हमारे हर अच्छे ख़राब काम का हिसाब मय ब्याज के लिख रहा है |हम अपने को निर्णायक कीभूमिका से सुधारने का प्रयत्न करें |झूठ फरेब और धोखे से हम स्वयं को बहुत कमजोर बना रहे है यह ध्यान रखेंएक बार सत्य की कसौटी पर स्वयं को रखा कर कठोर परिश्रम से समय को जीतने की जरूरत है |आपके सम्बन्धआपकी कमजोरी नहीं ताकत बन कर खड़े रहें |

हम यदि चाहे तो अपने जीवन नियमों में इन्हें शामिल कर सकते है |
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अपने लिए एक आइडियल व्यक्ति अवश्य रखें जिसे आप अपनी हर अच्छी ख़राब बात शेयर कर सकते हैयहाँ आपका विस्वास पात्र व्यक्ति हो तो ही उचित है |आपको अपनी हर बात पर परामर्श लेना चाहिएकोशिश यह हो की आप छुपाव या झूठ का सहारा न ले ,परामर्श पर अमल करें | , ,
आप समाज में कितना पार दर्शी व्यक्तित्व रखते है ,आप सबको एक जैसे व्यवहार से नहीं रख सकतेआपको अपने घनिष्ठ संबंधो की मर्यादाएं मालूम होनी चाहिए तथा आप उनकी लिमिट बना कर उन्हें जीनासीखिए नहीं तो वे ही आपके लिए कल बड़ा अपराध बोध बन जायेंगे | ,
सच, प्रेम, अपनत्व सब जीवन की दुर्लाभताये है ,आप अपने उद्देश्य से संबंधों के कारण ही विचलित होते हैभविष्य के लिए आप जो सही निर्णय लेते है उन्हें अपनी कमजोरियों से हारा साबित न करें |
आपको सही समय पर सही सोच की आवश्यकता है इस सोच को पल्लवित कर आपको कठिन परिश्रम सेजीत हासिल करने की आवश्यकता है |
जोकार्यया व्यक्ति आपका समय केवल मनोरंजन या टाइम पास के लिए नष्ट कर रहा है वह आपका मीठाशत्रु है यही आपके असंतोष और अपराध बोध का असल कारक होगा |यहाँ आपको अपने चिंतन में अच्छेऔर ख़राब का भेद करना भी आवश्यक है |कामो वेश आपभी इसके दोषी हो सकते है आपको परिवर्तन करतुंरत अपनी कमियों पर अंकुश लगना चाहिए |
आपको भविष्य के लिए कठोर नियम बनाने चाहिए जो अपने लिए और वर्त्तमान के लिए एक सीधी रेखा कीतरह आपको विकास दे सके |
आपका परिस्थिति के अनुसार भाव और उद्देश्य बदलना आपको विकास पथ से दूर ले जाएगा |
अपनी आत्मा के सत्य से मुंह न मोडे ,जिस काम के लिए आपकी आत्मा आपको नकारात्मक सिद्ध करेजितनी जल्दी हो आप उस कार्य से स्वयं को दूर करलें |
हर रोज़ यह सोचें कि आपके किसी कार्य से समाज के किसी व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव तो नहीं पड़ रहा |
मित्रों ये सब बातें आदमी को शायद दिशा दे पाये मगर अफसोस यह है कि जो लोग बहुत से आवरण ओढे बैठे हैजो हर कार्य और हर जरूरत को अपने अधिकार का विषय मान लेते है उनके लिए अच्छे और ख़राब का भेद हीक्या मायने रखता है वे हर सम्बन्ध को अपनी आवश्यकता के अनुसार बदलते रहते है ,सत्य का मायने असत्य लेलेता है और आत्मा कि आवाज महीन और अनुसुनी सी रह जाती है वो अपने हर काम को सही साबित करने कीहोड़ में लग जाते है, शायद यही से जीवन में विकास पथ अपनी दिशा भूलने लगता है आवश्यकता इस बात की हैकि जब पुनर चिंतन हो तबसे ही अपने लिए सत्य,आदर्श और नए मूल्यों कि स्थापना हो पुराने मरे हुए औरमृतप्रायः मूल्यों और आदर्शों से किनारा कर हम नए सुबह का स्वागत करें वहां केवल विकास हो सहज प्रेम हो औरहो भविष्य की सुनहरी चमक | ,

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