क्रोध कमजोरी का परिचायक है

क्रोध कमजोरी का परिचायक है 
प्राचीन से धर्म और साहित्य यह सिद्ध करते रहे है कि आदमी कॉ सबसे बड़ा शत्रु क्रोध है |दर्शन के विद्वान मानते है कि आदमी कि निरीह पन या कमजोरियां क्रोध पैदा करती है, क्योकि सर्व शक्तिमान को क्रोध आता ही नहीं है, क्योकि वह पूर्व नियोजित ढंग से सबकुछ शक्तियां अपने हाथ में ही रखता है|वैज्ञानिक मानते है कि क्रोध से शारीरिक मानसिक और बाह्य जगत पर पड़ने वाला प्रभाव ऋणात्मक ही होता है और वह उस के लिए ही घातक होता है जो यह क्रोध कर रहा है |पारिवारिक शान्ति सहजता और समाज के सुख कि विषयस्थितियां क्रोध से पर्याप्त रूप से प्रभावित होती रहती है ,एक स्वस्थ्य समाज ,परिवार और श्रेष्ठ परिकल्पना के लिए क्रोध रहित स्थिति की आवश्यकता है |शायद विश्व के धरातल पर इससे अधिक कुछ महत्व पूर्ण नहीं हैं | 

हम सब अपने वातावरण ,समाज परिवार ,और अपनों से यह आशा करते रहते है की वे हमारे अनुसार कार्य करें और हम उन्हें अपने नियमों और विधान के अनुसार ही चलने की उम्मीद करते रहें यदि यह ज़रा भी परिवर्तित हुआ तो क्रोध स्वतः हमें प्रभावित करने लगता हैं |प्रत्येक आदमी की अपनी अपनी कार्य शैली होती है और सबका अपना अपना अलग चिंतन मगर हर आदमी आपसे अपने अनुसार चलने कीआकांक्षा रखता है, यहाँ यह बात और महत्वपूर्ण है की हर आदमी अपने विचारों को सर्वोपरि सिद्ध करने की कोशिश भी करता रहता है ,फिर तो सामंजस्य की समस्या खड़ी होनी ही है | आज हम परिवारों और समाज में एक ऐसा ही द्वंद झेल रहे है ,हमारी तमाम कोशिश यही रहती है कि हम जो भी कर रहे है वह सबको हमारी तरह ही अच्छा लगे ,और यदि अच्छा नहीं लगे तो भी हमारे लिए कोई कुछ ना कहे ,ये सब बातें ही पैदा करती है द्वंद का वातावरण | 

एक बच्चे ने स्कूल से लौट कर अपनी माँ से शिकायत की कि जब बस आयल ले रही होती है तो सब बच्चे बहार निकलकरपन्द्रह मिनट के लिए वहां खेलने लगते है, परन्तु एक बुड्ढा बाबा मुझे बहुत रोकता टोकता है अच्छे से खेलने नहीं देता डांटता भी है ,और केवल मुझे देखता है| , माँ को यह बात बहुत बुरी लगी उसनेपिता
कहा कि वो बुड्ढा मेरे बच्चे को डाँटता फटकारता मरता रहता है तुम जाकर एक बार उसे ठीक करदो ,पिटा गहन सोच में डूब गया ,उसने बच्चे से पूछा कि वह क्यो डाँटता है, तो बच्चे ने कहा वहां से गाडियां मोटर निकलती है वो मेरा गुन कर रास्ता पर कराता है मुझे दौड़ने नहीं देता ,और बच्चो के साथ स्वछंदता से खेलने नहीं देता| एक दिन तो मुझे रोकते में एक बस ने उसका पाँव तोड़ दिया अच्छा रहा ,पिता ने पत्नी को और बेटे को बताया कि बेटा तुम जिससे सबसे ज्यादा नफरत करते हो वो तुम्हारे बाबा है वे मेरे पिटा है और हमारे परिवार के विघटन के बाद भी उन्हें तुम्हारी सबसे ज्यादा चिंता है|इस कहानी को पढ़ कर मुझे यह लगा कि यह क्रोध के परिवेश को स्वतः प्रमाणित कर देगी |लेखक के भाव से मुझे स्पष्ट होगया कि जो आपका जितना अधिक प्रेम करने वाला होगा वह उतना ही नफरत कॉ मायने भी बन जाएगा ,बस हमारी कमी यह होती है हम असीमित प्रेम और अपनत्व से बंधे यह चाहते रहते है कि हमारे अपने को कोई तकलीफ नहो उस्का भविष्य सुरक्षित हो| 

कामोवेशकी हम सबका भी यही हाल है ,हमे यह ज्ञान ही नहीं है कि हमे कौन निस्वार्थ और सबसे अधिक प्रेम करता है ,हम अपनी शारीरिक मानसिक और तमाम समय से जुडी स्थितियों की मांग के हिसाब से प्रेम कॉ एक नकली और बनावटी भाव दे बैठते है और उसके ही भ्रम में जीवन के महत्वपूर्ण पल गुजार देते है ,ऐसे समय में हर वो बात जो हमारे इस कर्म में आदे आती है उसे हम झुठला देते है और वे लोग जो हमारे परम हितैषी होते है हमे शत्रु समान लगाने लगते है |मित्रों यह आज की यही त्रासदी है हम वर्तमान कॉ सुख प्राप्त करने की चेष्टा में भविष्य दांव पर लगा बैठते है | 

आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने आप में निम्न पैदा करें 

जीवन में स्वयं सत्य पर चले और सबसे उम्मीद भी यही करें ,सत्य कॉ सामना करने के लिए आप भयाक्रांत न हो क्योकि यही आपको बाद में ताकत देगा |
वर्तमान को अपनी कठिन मेहनत से जीतने कॉ संकल्प करें ,उसके लिए धीरज और विनम्रता से काम ले,कार्य स्थल को अनवरत क्रियाशीलता प्रदान करें |
अपने आदर्शों का निर्माण करें और उनपर चलने कि कोशिश करें 
अपना जीवन कॉ मूलभूत उद्देश्य निश्चित करें और उसमे आपकी इच्छाएं ,मित्र और आपका परिवार और समाज भी आदे आए तो उनका सामना करें 
ध्यान रहें कि जीवन कॉ उद्देश्य उम्र ,सोंदर्य ,शारीरिक और सामायिक उपलब्धियां ना, हो उसमे व्यक्ति और क्रिया से प्राप्त संतोष की बजाय जीवन सार के रूप में उपलब्धियां हो |जीवन का अन्तिम उद्देश्य आपके जीवन की सफलता कॉ आयना है |जो उद्देश्य व्यक्ति ,समय ,क्रिया,और केवल सामायिक सुख से बंधा होता है वह जीवन को पतन के मार्ग पर ले जाता है ,और एक लंबा ना ख़त्म होने वाला अपराध बोध बन जाता है |
जीवन की गलतियों से घबराए नही ,असफलता आपको और अधिक परिश्रम और संकल्प से जीवन जीतनेकॉ निमंत्रण देती है ,आप जरूर सफल इसके अतिरिक्त होंगे
इसके अतिरिक्त अनेक ऐसे तथ्य है जिनमे अपना आंकलन , गर्व,वभाव ,धन ,सोंदर्य,का अहम् ,और अपने आप को सर्वज्ञ समझ कर सबको मूर्ख मान लेना भी आपके क्रोध कॉ कारण हो सकता है |आप स्वयम को सदैव एक प्रशिक्षु की तरह रखें और नया नया सीखने की ललक बनाए रखें ,सबसे सहज प्रेम और मित्रता कॉ व्यवहार बनाए रखें |अपने मूल उद्देश्य के लिए सतत प्रयत्न शील बने रहें ,किसीसे भी अपनी तुलना करके आप अपने गुणों और महत्वता को कम कर रहे है जबकि आप आत्मा और अपने गुणों से कहीं अधिक महत्व रखते हैं | 

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