आदर्शों में कठोर अनुशासन आवश्यक है
आदर्शों में कठोर अनुशासन आवश्यक है (कॅरोना
Strict discipline is required in ideals(carona )
पिता जगत बेहोशी से जागी अपनीबेटी अदिति को चिल्ला चिल्ला कर कह रहा था ,अदिति तुम उसी कमरे में रहो ,देखो ३ कमरे के मकान में से एक कमरा तुम्हे इस लिए दिया है कि घर के और लोग इससे प्रभावित न हो जाए ,तुमसे बार बार कहता था घर बैठो, घर बैठो तुम रोज नए बहाने बनाकर बाहर जाती रही,फिर उस दिन एक रेस्त्रा में बेहोश मिली तुम्हारे दोस्त और घरवाले सब इकट्ठे थे ,अस्पताल में भारी भीड़ थी ,तुम्हारे साथ तुम्हारा चाइना से आया हुआ दोस्त भी था | डॉ ने तुरंत हालात समझ के कह दिया ये कॅरोना पोजेटिव है फिर उस रेस्त्रा के १२ लोग पोजेटिव निकले डॉ से कहा गरीब आदमी हूँ ,बड़े अस्पताल चाहते न चाहते बड़ी रकम मांगते है ,मैं एक साधारण सिपाही कहाँ से करूँ पूर्ती ,३ बच्चे और है फूट फूट कर रो रहा था पिता शायद अपनी मज़बूरी ,बेटी का बार बार झूठ बोलना और परिवार की चिंता ने उसे हिला कर रख दिया था ,डॉ ने उसकी चुप्पी तोड़ते हुए कहा दीवान जी अपनी बेटी को लेजाओ ये दवाये देना हमपर इससे ज्यादा कोई सुविधा है नहीं १५ दिन इसे अलग रखना डॉ घर आकर देखेगा इसे ,यदि इसका उललंघन हुआ तो आप तो जानते हो न कानून |
एक व्यस्त तम चौराहे पर ड्यूटी लगी थी जगत की ,पूरी रात बेटी के पास बैठ कर गुजारी थी ,स्वांस नहीं आ रही थी ,दादी का नुख्सा बनाया, लॉग कालीमिर्च पीपल अदरक का काढ़ा बनाया २-३ बार दिया नाक में तेल लगाया डॉ की दवा खाई थोड़ा आराम मिला, डॉ यही कहता था कि देशी चीजे सब फालतू है देना मत देना ,मगर मैं तो बाप हूँ न आधी आधी स्वांस में तड़पती उस लड़की की यातना में उसे सब कुछ देकर भी एक साँस देने का प्रयत्न कररहा था | कहाँ सो पाया रात भर फिर चौराहे पर ड्यूटी में आगया ,अचानक तेजी से आती हुई बाइक को बेरियर पर रुकते हुए देख हम वहां मुड़े ,एक हम उम्र लड़की चिपकी सी बैठी थी एक लड़के से ,बोली अंकल माँ की तबियत ख़राब है,अपनी लड़की सी झूठ बोलती दिखी थी ,वो, लड़का कुछ शक्ल से ही आवारा टाइप का दिख रहा था, मैंने पूछा आई कार्ड है कोई ,लड़की ने झपट कर एक बदनाम सी यूनिवर्सिटी का आई कार्ड दिया, अचानक मैंने लड़की के फ़ोन पर आता फ़ोन जिसपर माँ लिखा था लपका ,पूछा है कौन है वहां से गुस्से में आवाज आई कहाँ है तू ,फिर अचानक बोली आप कौन मैंने पूछा आप कौन बोल रही है ,महिला बोली इसकी माँ आप कौन ?निरुत्तर मैं पागलों की तरह उस लड़के पर डंडे बरसाने लगा और वो दोनो तुरंत वहां से पीछे लौट कर भाग गए बड़ी देर सोचता इतना गुस्सा ठीक था क्या मेरा |
उस दिन पूरी दुनियां मुझे झूठी ही मिली, कोई कह रहा था तबियत ख़राब है ,कोई कह रहा था डेथ हुआ है ,कोई कह रहा था भाई फंस गया है, पैदल कैसे आएगा ,महिला कह रही थी बच्चे रह गए है और तरह तरह के बहाने सुन कर यही लगा दुनियां कहाँ जा रही है , मैं क्या बताता की पिछले दिनों में कितना रोया हूँ ,पर क्या करूँ मैं कैसे रोकूं इन सबको मौत के मुँह में जाने से ,कितना मजबूर बे सहारा और यातना में भरी लग रही थी दुनिया ,ऐसा लग रहा था कि घूमने फिरने की स्वतंत्रता देकर मैं उन्हें एक अंधे कुँए में धकेल रहा हूँ और उसपर क़ानून यह कि आपने उसे मारा क्यों ,क्या बताता अपनी प्राण छोड़ती बेटी का दर्द, जिसमे मैं एक दर्शक बना बदहवासी में भाग कर उसकी तरफ जाता वो जोर से चिल्लाती मास्क पहनो, बरसाती पहनो ,फिर आओ ,निढाल सा वही करता जो वो कह रही होती थी अब सामर्थ्य कहाँ था जो उसकी नहीं सुनता|
बाबा साँस नहीं आरही, गला बंद होगया है ,आखों में जलन है ,दवा तो जो देसकता था दी ,तमाम झाड़ फूँक कर डाली और ईश्वर से प्रार्थना करने लगा हे परम पिता बच्चे को ठीक कर और कराहते कराहते वो सो गई,मेरी थोड़ी नींद लगी ही थी कि २० वर्ष पुरानी स्मृति घूमने लगी सर जोज़ेफ एवं उनका परिवार आजादी के बाद यही किसी कंपनी काम करता रह गया था , मुझे उनके बंगले पर ही ड्यूटी मिली थी ,काफी संभ्रांत थे मियां बीबी, खाने का और तीज त्योहार सब याद रखते थे ,एक दिन अचानक यह कहने लगे जगत तुम जानता है कि दुनियां में इससे अच्छा कोई देश नहीं है, शांति है ,सुख यहीं है, मैंने कहा मालिक हम सब तो गरीब है ,बहुत समस्याएं है ,वो बोले जगत यहाँ अचानक देश को आज़ादी मिल गई है और आप सोचो किसी जन्मते छोटे तोते के बच्चे को पकड़ लाये फिर उसे धीरे धीरे बड़ा किया फिर एक दिन डंडा लेकर उसे उड़ाने की कोशिश की वह लहूलुहान होगया, उसने उड़ना सीखा ही नहीं ,था उसे कोई अनुशासन का ज्ञान ही नहीं था, तो उसकी यही गति होनी ही थी |
अनुशासन के बैगैर मनुष्य क्या जड़ चेतन सब हिंसक पशु जैसा हो जाता है वह अपना पराया भूल कर केवल हत्यारा सिद्ध कर डालता है स्वयं को , राष्ट्र प्रेम -दायित्व कर्त्तव्य तो संभ्रांत व्यक्तियों के लिए उचित है मगर जो अपने ही हितों को नष्ट करे ,जिससे समाज का जीवन खतरे में पड़ जाए ,ऐसा व्यक्ति केवल दंड का भागी दार होता है
,इतिहास गवाह है नियत स्वार्थों के लिए, परिवार अपनों और राज्यों का भयानक नर सहांर भरा पड़ा है ,मोहोम्मद गौरी को पृथ्वी राज की उदारवादिता के कारण ही बलिदान होना पड़ा , यदि कड़े अनुशासन में होते तो शायद देश का इतिहास अलग होता ,ओरंजेब ने दारा शिकोह का कटा सर देखा और बहुत देर रोया था ,वो यह कहते हुए कि भाई इसके आलावा कोई मार्ग था ही नहीं था ,यही अनुशासन है मेरा, मै भी बह रहा था स्वप्न संसार में बिटिया रो रही थी बाबा आपके प्यार ने बचा लिया मुझे आज १५ दिन हो गए है अब मैं ठीक हूँ
निम्नांकित का विशेष ध्यान रखे
- राज्य और देश अपने नागरिकों से एक ही अपेक्षा रखता है की उसका नागरिक अपने मानव कल्याण के दायित्व के बदले उसका सहयोग करे उसके अनुशासन का पालन करे |
- नीति निर्देशक तत्वों में नागरिक की एक आदर्श आचरण सहित लिखी है जो राज्य और नागरिक दोनो को निर्देशित करती है
- स्वयं के हितों से बड़ा है सामाजिक हित और समय समय पर लोगोने कुर्बानी देकर अपने हितों और बलिदान करते हुए दूसरों के हितों की रक्षा की है
- अनुशासन का कठोर पालन ही किसी राष्ट्र को मजबूत और सुसंस्कृत बना सकता है क्योकि व्यक्ति में आलोचना करने का जो सुख हैं वही विवाद और स्वार्थों का कारक बनता है
- महत्वाकांक्षाओं से उत्त्पन्न होता है लोभ और लोभ से पाप पाप से नकारात्मकताओं के समूह फिर व्यक्ति का गिरना तय ही है
- अनुशासन के मार्ग में अपने पराये बड़े छोटे जो आये उनपर एक ही विधि प्रयोगित हो क्योकि इसके बिना राष्ट्र का विकास हो ही नहीं सकता
- जो लोग हर समय नाकारात्मक ऊर्जा का उत्सर्ग करते हो उनका सख्ती से इलाज आवश्यक है दुनियां केवल सकारात्मक मानदंड याद रखती है किस दुष्ट का सर काटा गया यह मायने नहीं रखता
- युवा की अमोघ शक्ति केवल अनुशासन में निहित है यहीं से वह स्वयं से समाज तक की कल्पना कर सकता है अन्यथा वह लक्ष्य रहित अपनी ऊर्जा व्यर्थ गँवा देगा|
- गुरु के आचरण और उनकी जीवन शैली से ,अनुशासन सीखने वाले सफल होते है ,जबकि अनुशासन हीनता से मनुष्य की पीढ़ियां कलंकित होकर अपना अस्तित्व नष्ट कर देती है |
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