धर्म

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प्रेम सत्य और उसका स्वरुप

प्रेम अनादि काल से इंसान के मष्तिष्क में यह प्रश्न उठता रहा की वह कोंन ही विषय स्थिति है जो मानवीय अस्तित्व को अमर और शाश्वत बनाए रखती है |जन्म के समय से ही उसने अपने आस पास सहज प्रेम की अनुभूति की थी और उसका विकास भी उसी परिवेश में हुआ था |उसने चंदा मामा सूर्य और प्रकृति के प्रेम को अपनी अबोधावस्था में बहुत पास से देखा,अनुभव किया था |....

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ईश्वर सत्य है परन्तु आपके साथ है -महसूस करें

शुभ कर्म करता तो स्वयं तर जाए अपने कर्म से ज्ञानी तरे निज ज्ञान से धर्मात्मा निज धर्म से जिसके न कुछ आधार हो कुल दृव्य विद्या बल न हो तेरे सकल बेकल सकल कल प्रान्त में भी कल न हो उस दीन के बंधू हो तुम बल हीन की प्रभु शक्ति हो अशरण शरण भव भय हरण तुम ज्ञान कर्म सुभक्ति हो अर्थात आप यदि अच्छे कर्म वाले है तो....

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ईश्वर सत्य है

कभी होता भरोसा कभी होता भरम ऐ खुदा तू है कि नहीं अनादी काल से मनुष्य की सोच रही है कि वह सर्वशक्तिमान की शक्तियों से अविभूत रहे उसकी सारी समस्याएं ,कमिंयां और अपूर्णताएँ पलक झपकते हीदूर हो जाए यही एक विश्वास एक धनात्मक मानसिकता के साथ वह अपने गंतव्य की और अग्रसित रहे|उसके लिए उसने हजारों विश्वास खड़े किये ,और इतिहास साक्षी है कि वह उसमें ....

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अनंत शक्ति का स्त्रोत है आप

हर आदमी अपनी समस्याएं खोखलापन ओर जटिलताएं लिए संघर्ष रत है ,उसे एक समस्या से छुटकारा मिलतेही दूसरी समस्या घेर लेती है ओर हर रोज का दायित्व निभाते २ उसका पूरा जीवन निकलजाता है जबकिभारतीय दर्शन धर्म ओर संसार का हर सम्प्रदाय उसमे अपरमित शक्ति होने कि बात स्वीकार करता रहाब्रह्माण्ड की अनंत शक्ति आदमी में निहित थी ,वह शक्ति , क्रियान्वयानता ओर तीव्र ....

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जीवन का सत्य और सफलता

हमारा सारा जीवन इस उधेड़ बुन में निकल जाता है की हमें क्या अच्छा लगता है हमें शरीर, स्तर ,और सामाजिकपारिवारिक आवश्यकताएं जैसे ही महसूस होती है हम उनकी प्राप्ति के प्रयत्न में लग जाते है और इस तमाम प्रयत्नशीलता में हमे जीवन का बड़ा भाग यूँ ही बिता देना होता है और जैसे ही हम एक आपूर्ति करते है वैसे ही अनेक समस्याये ,कमियां हमें मुंह चिडाने लगती है |....

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धर्म इंसान बनने की विधा है

मै सिख हूँ ,इसाई हूँ,मुसलमान हूँ ,या हिंदू हूँ ,और यदि हिंदू हूँ तो मै गायत्री का उपासक हूँ ,या आर्य समाज मानने वाला हूँ या शिव शक्ति या एकात्मक ब्रह्म को मानने वाला हूँ अथवा मै किसी और संप्रदाय पर अमल करने वाला हूँ | प्यारे मित्र यह सब धर्म कहाँ है ये तो मत है विचार धारा है या स्वयं को विरासत में मिली कोई पद्धति है यह धर्म कैसे हो सकता ह....

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ग्रहण की कालिमा प्रचंड ज्योति का प्रतीक है

सूर्य या चंद्रमा के शक्ति मान स्वरुप पर राहू की काली छाया भारतीय धर्म में ग्रहण माना जाता है| यही जीवन का बड़ा प्रेरणा स्त्रोत और जीवन को सफलतम रूप में प्रस्तुत करने वाला दिशा सूचक कारक भी हो सकता है| गहन अन्धकार में डूबे हुए सूर्य को प्रकाशित होने के लिए भी तो संघर्ष करना पड़ता है |भारतीय धर्म शास्त्र में यहस्पष्ट है कि सूर्य, चंद्रमा....

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धर्म अल्पज्ञ का विषय नहीं ज्ञानका स्त्रोत है

हम आज के समाज में धर्म का आशय केवल पुरानी रुढियों व रिवाजो में बंधे उन लोगों से लेते है जिनके आय का , भरण पोषण का ,और स्वार्थो का माध्यम धर्म होता है |वे आडम्बर और अलौकिक परिवर्तन करने का दावा करतेहै ,वे कैसे भी यह सिद्ध करने का प्रयत्न करते है की वे सर्व श्रेष्ठ है और उनके द्वारा समाज में धर्म के प्रति भय औरघृणा फैलाई जाती रही है |अपने नामों के....

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इंसान

इंसान जाल मे फंसा एक जीव है  जो मुक्ति की चाह में तडफडाता है अपनत्व रूठ जाने पर घबराता है  जीवन भर संजो कर रखा था जो अपनत्व घट जब अपनी ही ठोकर से फूट जाता है तो फिर टूट जाता है ....

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दूसरों की सेवा करना सबसे बड़ा धर्म है

दूसरों की सेवा करना सबसे बड़ा धर्म है  Service to others  is the greatest religion कॅरोना महा मारी की एक मार्मिक कथा और एक सेल्यूट    श्रुति अभी १० दिनों से घर  नहीं जा  सकी थी, काम कुछ ज्यादा ही था ,महामारी कॅरोना की  वजह से , अस्पताल भी सरकार ने  लेलिए थे, बहुत सोचा था क्या करूँ....

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