प्रेम सत्य और उसका स्वरुप
प्रेम अनादि काल से इंसान के मष्तिष्क में यह प्रश्न उठता रहा की वह कोंन ही विषय स्थिति है जो मानवीय अस्तित्व को अमर और शाश्वत बनाए रखती है |जन्म के समय से ही उसने अपने आस पास सहज प्रेम की अनुभूति की थी और उसका विकास भी उसी परिवेश में हुआ था |उसने चंदा मामा सूर्य और प्रकृति के प्रेम को अपनी अबोधावस्था में बहुत पास से देखा,अनुभव किया था |....