धर्म

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बढ़ता विज्ञान और घटती सवेदनाएँ

बढ़ता विज्ञान और घटती सवेदनाएँ  Increasing science and decreasing sensitivity प्रोफेसर रंगा विज्ञान के बहुत बड़े हस्ताक्षर थे ,देश विदेशों में उनका बहुत बड़ा नाम था, कई पुस्तको  , लेखों  और कई व्याख्यानों से मूर्धन्य सस्थाओं को वे अपना लोहा  मनवा चुके थे , एक बेटा सुकेश और बेटी रीमा को भी ब....

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ईश्वर सबसे महान है आपकी सफलता की शक्ति भी है

ईश्वर सबसे महान है (God is the Greatest) आपकी सफलता की शक्ति भी है​ एक संत जी लाखों की भीड़  के सामने जोर जोर से ईश्वर की परिभाषा बता रहे थे अबोध जनता हतप्रभ सी सब सुन रही थी उनके भजन गीत और ईश्वर के प्रति जो भाव थे वे बड़े निराले  और अजीब तरह के थे कभी  यह बताने की भरसक कोशिश कररहे थे कि में दुनिया में आज....

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जीवन की सफलता और नैतिक मूल्य

शार्ट कट तकनीक में चलता ,  हमारा रोहित  बहुत  बड़ा ड्रामे बाज था ,स्कूल के समय से ही उसे ऐसी ऐसी  तकनीकें आती थी कि सब लोग आश्चर्य में  आजाते थे ,टीचर का  काम पूरा नहीं हुआ तो रुआंसा , उसने बताया माँ की तबियत बहुत  खराब थी, सारा काम मैंने ही किया, आपने ही कहा था , माँ बाप की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है, गुरूजी ....

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ईश्वर सबसे महान है आपकी सफलता की शक्ति भी है

एक संत जी लाखों की भीड़  के सामने जोर जोर से ईश्वर की परिभाषा बता रहे थे अबोध जनता हतप्रभ सी सब सुन रही थी उनके भजन गीत और ईश्वर के प्रति जो भाव थे वे बड़े निराले  और अजीब तरह के थे कभी  यह बताने की भरसक कोशिश कररहे थे कि में दुनिया में आज तक जितने संत हुए वो उनसब में सर्वश्रेष्ठ है योग, तंत्र, मंत्र ,ज्ञान और भक्ति में उनसे बड़ा&nbs....

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शांति का द्वार है भारत

एक दिव्य पुरुष तेजी से एक सुनसान  रास्ते पर चला जा रहा था रास्ता सूना था, और मार्ग कठिन भी था , एक राहगीर ने उसे देखा और सोचा मै भी इसके साथ  हो लेता हूँ  शायद भय और रास्ते के अकेले पन  से तो मुक्ति मिलेगी-यही  सोच कर उसने उस दिव्य पुरुष को प्रणाम किया और उसके साथ चल दिया ,आगे जा कर  दोनों  देखा कि एक आदमी जोर ....

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भारतीय दर्शन - संतोष का स्तर

भारतीय दर्शन सम्पूर्ण विश्व में अपनी जो पहिचान रखता है उसमे  मूल भाव यही रहता है कि मनुष्य का जन्म केवल खाने ,पहनने ,बच्चे पैदा करने और शक्ति प्रदर्शन  या भयाक्रांत होकर जीने के  प्रयत्न करने में नहीं है , उसका सम्पूर्ण जीवन निश्चित उद्देश्य के लिए ही निर्धारित है और वही   उसको पूर्णता देसकता है | भगवान....

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विकास, भारतीय मूल्य और संस्कार

वर्तमान में युवा मष्तिष्क में विकास उन्नति और अपना परचम  सम्पूर्ण विश्व में फहराने की आकांक्षा बनी रहती है इसीप्रकार राष्ट्रों  होड़ मची है की वे अपने  पूर्ण विकसित करने की चेष्टा कर सकें , और हर जगह एक गाला काट प्रतियोगिता सी दिखाई दे रही है , भावना  विहीन विकास जिसमे केवल स्वयं के अलावा कुछ नहीं है , और कैसे भी विकास के चरम....

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भीड़ सा निर्मूल्य मत बनाओ जीवन को

कब तक महा पुरुषों के पद चिन्हों पर चलने का प्रयत्न किया जाए कब तक समय परिवर्तन और आधुनिकता के लिए  समय के साथ भागने का प्रयत्न करें ,शायद हमारी मौलिकता ख़त्म हो चुकी है हम बहुत सारी नावों पर एक साथ भागने के चक्कर में अपनी आत्मानुभूति ,आदर्शों  और हर जगह अस्थिर हो गए है शायद पुराने  मान दंड इस तरह से बदल दिए गए जिनका कोई महत्व ही न....

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क्षमा क्रोध से सशक्त हथियार है

आम आदमी के स्वाभाव में जरा जरा सी बात में क्रोधित हो जाना  एक स्वाभाविक सी प्रक्रिया है  आज हम दैनिक जीवन में जिन परिस्थितियों से जूझ रहे है  वहाँ  अपने व्यक्तित्व कि कमियां ही है हम पर ,कही धन का आभाव है कहीं संसाधनों कां अभाव है कही सामाजिक राजनैतिक  या सांस्कृतिक प्रतिमानों का आभाव है कहने का अर्थ यह कि हमे आभाव है और....

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