कोई हमारी समस्याओं को हल कर रहा है |
हम आधुनिक हो रहे थे पश्चिमी सभ्यता और विकास के नाम पर हमने दो चीजें खोई थी पहला विश्वास और दूसरा धैर्य | हम विकास की जटिलताओं में स्वयं इस तरह से उलझ गए की हम पर अपनी ही समस्य.... और पढ़े
हम आधुनिक हो रहे थे पश्चिमी सभ्यता और विकास के नाम पर हमने दो चीजें खोई थी पहला विश्वास और दूसरा धैर्य | हम विकास की जटिलताओं में स्वयं इस तरह से उलझ गए की हम पर अपनी ही समस्य.... और पढ़े
इंसान को हर पल निर्णय करना होता है |बचपन से अंत तक उसे कुछ न कुछ तय करना होता है और उसके तय किए मार्ग पर ही उसकी जीवन की रेल चल पाती है |उसके विकास और विनाश का द्वार यही से आरम्भ .... और पढ़े
शून्य की सृष्टि विचारणीय के आरम्भ में कुछ भी तो नही था ,न भोतिक और न अभोतिक जीवन नही था केवल था शून्य और वही हर निर्माण का आधार भी रहा है शून्य यह बताता है कीउससे पूर्व कुछ नह.... और पढ़े
मै अपना समय निकाल क़र कुछ देना चाहता था ,हर प्रबुद्ध यह आशा कर रहा था कि युवा ही तो भविष्य का कल है ,उसे ठीक और मजबूत रहना ही होगा |उसके जीवन की उन्नति ही तो हमारी सूखी आँखों की .... और पढ़े
अतीत की लाशें लेकर हम चलते रहे ,समय बदलता रहा और अतीत के जुर्म के जिम्मेदार हमारे सामने से गुजरते रहे वे हमे कमजोर, कमतर और हारा हुआ देखना चाहते थे हमें और यदि ये न हुआ तो हम स.... और पढ़े
आलोचना के जीवन पर प्रभाव "परम धर्म श्रुति विदित अहिंसा , पर निंदा सम अघ न गिरीशा " निंदक नियरे राखिये हम जिस समाज जिस राष्ट्र मे रहते हैं ,वह धर्म ,संस्कृति ,समाज .... और पढ़े
युग मान्यताए संस्कार और समय सब ही तो बदल रहा था फिर हमारे समाज परिवार और राष्ट्र की सोच में परिवर्तन क्यो नही होता ,उन सब में भी बदलाव आया सब बदलता चला गया मूल्य आदर्श परमार.... और पढ़े
सहज जीवन एक ज्योतिषीय सलाह भारतीय दर्शन मे मानवीय आदर्शो और मूल्यों के संवर्धन की बार बार बात कही गई है वाही हर धर्म हर साहित्य हर मज़हब इस बात पैर बल देता रहा हैकि जीवन .... और पढ़े
सम्बन्ध और उनका सार संबंध काल से आदमी के मष्तिष्क मे यह प्रश्न उठता रहा की वह जीवन मे रिश्तो और संबंधो का एक ऐसा ताना बना बुने जिसमे सम्बन्ध अपने पूर्ण रूप में जीवन की सार्थ.... और पढ़े
युग की मान्यताये बदलती रही। परिवार अपनों से और समाज से प्रत्याशा करता रहा की उनका व्यव्हार कार्य एवं क्रियान्वयन संस्कारों के अनुरूप विकास और सुख की ओर हो। शान्ति सौहार्.... और पढ़े