क्रोध कमजोरी का परिचायक है
क्रोध कमजोरी का परिचायक है प्राचीन से धर्म और साहित्य यह सिद्ध करते रहे है कि आदमी कॉ सबसे बड़ा शत्रु क्रोध है |दर्शन के विद्वान मानते है कि आदमी कि निरीह पन या कमजोरिया.... और पढ़े
क्रोध कमजोरी का परिचायक है प्राचीन से धर्म और साहित्य यह सिद्ध करते रहे है कि आदमी कॉ सबसे बड़ा शत्रु क्रोध है |दर्शन के विद्वान मानते है कि आदमी कि निरीह पन या कमजोरिया.... और पढ़े
गुरु जीवन की धनात्मकता है गुरु एक तत्त्व है जिसका उदय जीवन के साथ ही होता है |वह आदमी के मष्तिष्क में सेल्स के स्वरुप में ही जन्म लेता है क्योकि हिंदू रीति के अनुसार इंसा.... और पढ़े
"जो आप पर था और जो मुझ पर नहीं था इसका कारक घमंड नहीं, ईश्वर था " आप केवल उस कुत्ते की तरह गाडी के नीचे चलते हुए भरम पाले रहे कि गाडी आप से चल रही है समय परिस्थिति और का.... और पढ़े
अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी ____________ आँचल मैं है दूध और आंखों में पानी या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता________ नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नमः नार.... और पढ़े
दोस्तों के बारे में शायरों और कवियों ने बहुत लिखा कुछ आपके सामने है दोस्तों ने दोस्ती में ग़म दिए है इस तरह दोस्तों से दोस्ती का हक अदा होता नहीं ------ मेरे अपने मेर.... और पढ़े
आज हम जिस समाज जिस व्यवस्था में खड़े है वहा हर कोई अपनी ही पहिचान के लिए परेशान दिखाई देरहा है यहाँ कवियों और शायरों की पंक्तियाँ अधिक सशक्त दिखाती है| " इस शहर में हर शख्श .... और पढ़े
एक बड़ा योद्धा विश्व विजय के बाद सबको जीतने का एहम लिए एक बड़े कुँए के पास जोर जोर से चिल्ला रहा था, कह रहा था कि, है कोई वीर जो मझे चिनौती दे सके , मे एक पल मे सबको नेस्तनाबूद कर.... और पढ़े
समर शेष हैं नहीं का भागी केवल व्याध जो तटस्थ है समय लिखेगा उसका भी अपराध जीवन संग्राम है और यहाँ हर ,सम्बन्ध और परिस्थितियाँ आपको यही समझाती है कि मानवीय मूल्यों की रक.... और पढ़े
हर इंसान की यह प्रबल इच्छा होती है कि वह जिन लोगों से जुड़ा है ,वह जिस समाज और व्यवस्था में रहता है उससे सम्बंधित हर पक्ष सांस्कारिक नियमों से बंधा रहे ,वह नए मूल्यों और और आदर.... और पढ़े